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गुरुग्राम में HSVP सैंकटरो में अवैध पीजी हाऊस जमकर लगा रहे सरकार को पतीला।

सत्य ख़बर,गुरुग्राम, सतीश भारद्वाज :

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साइबर सिटी में जब से बड़ी-बड़ी मल्टीनेशनल कंपनी आई है तभी से जिले का नाम तो विश्व के मानचित्र पर अवश्य चमक गया है लेकिन उन की आड़ में चलने वाले अवैध कारोबार से जहां प्रदेश सरकार को जमकर चूना लगाया जा रहा है, वहीं जिले में तैनात अधिकारी चांदी कुट रहे हैं। जिनके बारे में जब जागरूक नागरिकों द्वारा शिकायत को जाती है तो अधिकारियों की मिलीभगत सुविधा शुल्क और ढुलमुल रवैये के कारण सरकार को चुना लगाने वाले साफ बच जाते हैं। जिससे इस कार्य में लगे कारोबारियों के हौसले बुलंद हो रहे हैं। मिली जानकारी के अनुसार साइबर सिटी के पांश क्षेत्रों सहित नगर निगम के अधीन आने वाले कॉलोनी और गांव में दिनोंदिन अवैध रूप से पीजी हाउस फल फूल रहे है, क्योंकी साइबर सिटी में अधिकतर सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग की विदेशी कंपनियां कार्य कर
रही है। जिसमें काम करने वाले अधिकतर युवा लड़के-लड़कियां देश के हर क्षेत्र से आकर अपनी आजीविका कमा रहे हैं। अपने रहने के लिए रहने के लिए वे महंगे महंगे फ्लैट तो नहीं ले सकते आपस में शेयर करके दो चार दोस्त एक रूम या पीजी हाउस लेकर अपना गुजारा कर रहे हैं। इन दिनों साइबर सिटी के डीएलएफ, साउथ सिटी, सुशांत लोक, मेफेयर गार्डन,पालम विहार सहित सेक्टर 21,22,23 , 55 ,46,50 में अधिकतर रिहायशी इलाको में लोगों ने अपने घरों में पीजी सेवा शुरू कर
रखी है। वही एक रूम में लकड़ी के पार्टीशन करके हुड्डा नियमों को धता बताते हुए सुरक्षा का ध्यान ना रखते हुए अवैध रूप से पीजी चलाकर जमकर धन बटोर रहे हैं। हालांकि कई दफा डीटीपी व एचएसवीपी विभाग ने चेकिंग के दौरान कुछ सील भी किए हैं और जुर्माना भी लगाया है। लेकिन फिर भी भ्रष्ट अधिकारियों की मिलीभगत से यह गोरखधंधा काफी फल-फूल रहा है। जिसमें आमतौर पर देखा जा सकता है कि, मकानों में बड़ी-बड़ी कैंटीन होटल, ढाबों की तरह भोजनालय खुले हुए हैं जिस पर ना ही तो प्रशासन और ना ही क्षेत्र के
जनप्रतिनिधि वोटों की राजनीति के चक्कर में कुछ भी कार्यवाही कर रहे हैं। जबकि इन इलाकों में नगर निगम से कई प्रकार के लाइसेंस लेना अनिवार्य है, जिससे प्रदेश सरकार को राजस्व का चुना लगाया जा रहा है। वहीं स्थानीय निवासियों को जान माल का भी खतरा बना रहता है। कई दफा तो यह भी देखा गया है यह अवैध पीजी हाउस में लड़का लड़की साथ में रहते हैं फिर उनमें लड़ाई झगडे भी हो रहे है। इसका बुरा प्रभाव समाज पर भी पड़ रहा है। अवैध रूप से चल रहे पीजी हाऊसों के बारे में एचएसवीपी विभाग के अधिकारी कुछ भी बोलने से कतरा रहे हैं। उनका यह भी कहना है कि सेक्टरों का विकास कार्य अब नगर निगम के अधीन चला गया है इस बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं है। वहीं एक जागरूक महिला काजल ने ईमेल के माध्यम से सेक्टर 21, 22, 23 में चल रहे अवैध पीजी हाऊसों की नाम सहित लिस्ट एमसीजी सहित संबंधित विभाग को भेज कर कार्यवाही की मांग की है। जिस पर विभाग भ्रष्टाचार के चलते आंखें बंद किए मौन बना हुआ है। जिससे सरकार को हर महीने लाखों रुपए का चूना लगाया जा रहा है। वहीं लोगों की जान से खिलवाड़ हो रहा है। क्योंकि अवैध रूप से बने इन पीजी हाउसो में कई दफा सिलेंडर फटने से हादसे भी हो चुके हैं। जिस पर ना तो नगर निगम, एचएसवीपी, पुलिस और ना ही स्वास्थ्य विभाग कोई सख्त करवाई कर रहा है।
एचएसवीपी विभाग के एक उच्च अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि कुछ कार्य सैंकटरो में करने से छुट है,जिनमें डॉक्टर , वकील, इन्जीनियरस आदि प्रोफेशन है जो अपने दफ्तर चला सकते हैं, वहीं 500 गज से बड़े प्लाटों पर कंट्री एंड टाउन प्लानिंग विभाग से अनुमति लेकर रेस्ट हाउस आदि बना सकते हैं। विभाग समय-समय पर सेक्टर में जाकर सर्वे भी करते रहते हैं,आगर किसी भी प्लॉट पर कोई गड़बड़ी पाई जाती है तो उनको नोटिस देकर उन पर सख्त कार्रवाई की जाती है।

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